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क्या था ये – हवा, भूत, आत्मा या फिर कुछ और

Amit Prem
Amit Prem
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बात उस समय की है जब मै दसवीं कक्षा में पडता था| उस वक्त मैं फरीदाबाद में अपने चाचा-चाची के साथ उनके किराये के मकान में रहता था हमारे पास दो कमरे थे| उसी मकान में और किरायेदार भी रहते थे|
एक दिन बारिश के दिनों में मैं अपनी साईकिल लेकर घर में बताये बगैर घूमने के लिये निकल गया और दोपहर का समय था लेकिन बारिश के दिन होने कि वजह से धुप नहीं निकल रही थी इसलिए मुझे भी साईकिल पर घूमते घूमते समय का पता नहीं पड़ा करीब दो घंटे के बाद बहुत तेज बारिश शुरू हो गई अब मुझे घर जाने की चिंता होने लगी लेकिन मै घर से करीब दस किलोमीटर दूर था| बारिश बहुत तेज थी तो मै एक दुकान की शेड में खड़ा हो गया लेकिन जब बारिश ने रुकने का नाम नहीं लिया और अब शाम भी हो चुकी थी लगभग चार बजे थे तो मैं अपनी साईकिल लेकर वापिस घर चल पड़ा लेकिन बारिश तेज होने के कारण सभी रास्तों पर पानी भरा पड़ा था जिसकी वजह से साईकिल चलने में भी काफी परेशानी आ रही थी लेकिन घर पहुचने की जल्दी और चाचाजी की डाट का डर की वजह से मैं दो घंटे लगातार पानी में साईकिल चलाकर घर पहुंचा|
घर पे पहले चाचीजी से डाट पड़ी और मै अपने कमरे में जाकर लेट गया| रात को चाचाजी के घर आने पर चाचीजी ने उन्हें मेरे बारे में बताया लेकिन चाचाजी ने मुझे कुछ नहीं कहा और खाना खाने के टाइम पर चाचीजी मुझे बुलाने के लिये आयीं मुझे भूख नहीं थी और डाट का डर भी इसलिए मैंने खाने के लिये मना कर दिया और सो गया| थोड़ी देर बाद चाचाजी ने मुझे बुलाया, क्युकी मै सो रहा था तो सोते वक्त मैं सिर्फ अंडरवियर था तो ऐसे ही चाचाजी के कमरे की तरफ गया और दरवाजे पर जाकर चाचाजी से पुछा कि क्यूँ बुलाया तो उन्होंने पुछा कि “खाना क्यूँ नहीं खा रहा” तो मैंने कह दिया कि “भूख नहीं है” चाचाजी- “दिनभर कहाँ रहा था” मैंने कहा- “अपने दोस्त के पास गया था और बारिश की वजह से देर हो गई थी” चाचाजी- “जा जाके सो जा” मै वापस आने के लिये घूमा उसके बाद मुझे कुछ याद नहीं करीब बीस मिनट बाद मुझे होश आया तो मैंने देखा कि मैं बेड पर हूँ और चारो तरफ से लोगों ने मुझे घेरा हुआ है घर के बाकी किरायेदारों और चाचाजी वगेरह ने मुझे कस के पकड़ा हुआ है और मेरे सामने हनुमान जी की तस्वीर लेकर बैठे है और कह रहे है कि “बता कौन है तू” मैंने कहा चाचा मुझे क्यूँ पकड़ा हुआ है तो सभी कहने लगे कि गया वो अब इसे होश आ गया| फिर मुझे सुला दिया गया और सब वापिस चले गये|
अगले दिन मैंने सुबह जागकर चाचीजी से पुछा कि रात को क्या हुआ था तो उन्होंने बताया कि “जब तू अपने कमरे में जाने के लिये घुमा था और एकदम से जमीन पर गिर गया था जैसे कि किसी बेजान चीज को धक्का देकर गिरा दिया हो और जब हमने तुम्हे उठाया तो तुम उठ कर चीखने चिल्लाने लगे, ऐसा लग रहा था जैसे कि तुम्हारे अंदर कोई और हो” इतना कहकर वो अपने कामों में लग गई और मै सोच में डूब गया कि ऐसा हुआ तो कैसे हुआ और डर भी लग रहा था कि कहीं ऐसा दोबारा न हो|
उस दिन और कुछ नहीं हुआ| मेरे गांव में दादाजी को खबर कर दी गई थी उस घटना के बारे में तो सबको चिंता होने लगी क्युकी उस वक्त मै अकेला लड़का था पूरे परिवार में, खबर पड़ने पर दादाजी ने कहा कि दो दिन बाद वो आकार सब ठीक कर देंगे और चाचाजी को मेरा ख्याल रखने के लिये कहा| इस घटना के तीसरे दिन दिन में अचानक मेरी चाची जी अपने बेड पर बैठी थी और मै भी वही बैठकर टी.वी. देख रहा था कि अचानक से चाचीजी की तरफ नजर गई तो देखा कि उनकी आँखें एकदुम लाल हो रही है और उनका जिस्म एकदम अकडा हुआ है और उनकी पलक नही नहीं झपक रही थी मै डर गया और मैंने दूसरे किरायेदारों को बुलाया तो उन्होंने उन्हें देखा और डॉक्टर को फोन कर दिया दस मिनट में डॉक्टर पहुँचा उसने चाचीजी को देखा तो कहा ये कोई बीमारी नहीं और इसका इलाज वह नहीं कर सकता| फिर लोगों ने वही किया और चाचीजी के आगे हनुमानजी कि तस्वीर रख दी करीब दस मिनट बाद चाचीजी नोर्मल हुई| मैं वही कमरे के गेट के पास खड़ा होकर सब देख रहा था और मेरे पास एक लड़का और खड़ा था जो उम्र में मुझसे ७-८ साल बड़ा था और उसका नाम सुन्दर था| उधर जैसे ही चाचीजी नोर्मल हुई ही थी कि सुन्दर एकदम से उसी तरीके से ज़मीन पर गिरा जैसे एक दिन पहले मैं गिरा था उसके गिराने पर बहुत तेज आवाज आयी जिससे कि मेरे मुह से चीख निकल गई| और मैं बहुत बुरी तरह से डर गया, अब लोगों ने सुन्दर को उठाना चाहा लेकिन उसने सबको धक्का देकर दूर कर दिया और अपने कपडे फाड़ने लगा और उसके मुह से गुर्राहट की आवाज निकल रही थी| पड़ोस से और लोगों को बुलाकर उसे संभालने की कोशिश की गई जिसमे काफी देर के बाद सफलता मिली फिर उसके हाथ पैरों को अच्छे से पकड़ कर उसकी उँगलियों को खींचा गया और उसके सामने भी हनुमान जी की तस्वीर की गयी| और काफी कोशिशों के बाद वह शांत हुआ| लेकिन सबको डर लग रहा था कि यह सब हो क्या रहा है घर में| मैंने चाचाजी को एस. टी.डी. से फोन करके बुला लिया था| चाचाजी तुरंत घर पहुंचे और उन्होंने हम सबका साहस बंधाया और फिर गाँव में पापा जी के पास फोन मिलाया तो पापाजी ने कहा कि कल तक तुम संभल लो दोपहर तक हम आ जायेंगे| हमारे गांव में कैलाशी नाम के एक बहुत बड़े भगत थे मेरे पापाजी और दादाजी उनके पास गये और उन्हें सब बताया तो उन्होंने कुछ दवाई कि तरह की गोलियाँ में कुछ मंत्र वगैराह उच्चारण करके दीं| पापाजी और दादाजी अगले दिन उस दवाई के साथ फरीदाबाद पहुंचे और उन्होंने उसमे से एक एक गोली सबको खाने के लिये दी| और कहा कि अब यहाँ ऐसा कुछ नहीं होगा| और दो दिन तक हमारे पास ही रहे उस बीच वहाँ सब ठीक रहा और दो दिन बाद दादाजी पापाजी को लेकर वापिस गाँव चले गये| उनके जाने के एक दिन बाद ही……..
हमारी मकान मालकिन जो अपने कमरे में बैठी थी और उनके कमरे का दरवाजा खुला हुआ था| मैंने उस तरफ देखा तो लगा जैसे कि वह अपना सिर दीवार में मार रही है
मैंने जल्दी से सबको बताया और सबने पास जाकर देखा तो सच में वह अपना सिर जोर जोर से दीवार में मार रही थी और उनके मुँह से गुर्राहट की आवाज आ रही थी|
सात-आठ लोगों ने उन्हें कस के पकड़ा और उन्हें बजरंगबली कि तस्वीर दिखा कर शांत किया| वो तो शांत हो गयी लेकिन जो डर दादाजी खत्म करके गये थे वह एक बार फिर से हमारे सामने था|
हमने दादाजी को फिर से फोन किया इस बार दादाजी अकेले ही अगले दिन वहाँ पहुच गये और जाते ही पूजा का स्थान तैयार कराया|और मुझे उस पूजा में बैठने को कहा और मेरे ऊपर कुछ चावल के दाने फेंके और कुछ बुदबुदाये मै सब देख रहा था और पूरे होश में था फिर दादाजी ने मुझे वहाँ से हटाया और चाचीजी को वहाँ बिठाया और दादाजी ने जैसे ही उनके ऊपर चावल के दाने फेंके वैसे ही उनकी आँखें लाल होने लगी मै वहीँ खड़ा सब अपनी आँखों से देख रहा था दादाजी ने फिर कुछ मंत्र बुदबुदाए तो चाचीजी ठीक हो गयी फिर दादाजी ने उन्हें भी उठा दिया और ऐसे ही जिन जिन लोगों के साथ में ये घटना घटी थी उनको पूजा में बिठाया और फिर पूजा खत्म की| पूरे घर में गंगा जल का छिडकाव किया और वापिस गाँव चले गये| और उसके बाद वहाँ सब ठीक हो गया कभी कोई परेशानी नहीं हुई|||

दोस्तों यहाँ में कुछ और बातें आप लोगों से शेयर करना चाहूँगा,
मै बचपन से ही गांव में भूत प्रेत आत्मा आदि के किस्से-कहानियाँ सुनता आ रहा था और मुझे बचपन से डर लगता था लेकिन डरावने कहानियाँ पसंद भी बहुत थी| बचपन मै मैंने सुना था कि लोहे की कोई नुकीली चीज अपने पास रखने कोई भूत-प्रेत पास नहीं आते इसलिये मै हमेशा अपने पास एक छोटी केंची जो फोल्ड हो जाती थी रखता था और दोस्तो जिस दिन मैंने साथ ये घटना घटी उस दिन मैंने कुछ नहीं पहना थी तो वो केंची भी मेरे पास नही थी और जब मै पूजा मै बैठा था तब मेरे पास ये केंची थी| तो दोस्तो आप कुढ़ ही अंदाजा लगाइए
और हाँ अपने कमेन्ट जरूर दें|

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